यह पुस्तक भारत में लोकतंत्र की कार्यशैली और स्वतंत्रता के बाद मानव विकास में देश की प्रगति का चित्रण करती है। लोगों की रूचियों का विस्तार और महत्वपूर्ण क्षमताओं को अर्जित करने के लिए लोगों का एक समर्थकारी परिवेश रचने के लिए ताकि वे लम्बा, स्वस्थ और रचनात्मक जीवन जी सकें, निर्धनों और उपेक्षित वर्ग पर फोकस सहित निर्णय लेने में भागीदारी, मानव विकास के विचार को अंतर्निहित कर सकें। संवेदनशील शासकीय अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों, मीडिया, विधान मंडल के सदस्यों और अधिकारियों की आवश्यकता है ताकि संकेन्द्रित मानव विकास गतिविधि की जा सके। यह पुस्तक अर्थशास्त्रियों, अनुसंधानकर्ताओं, आयोजनाकारों, प्रशासकों, शिक्षण संकाय और विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए उपयोगी है।
इसके लेखक एक प्रशासक और गांधीवादी विचारधारा में रूचि रखते हैं। उन्होंने तमिलनाडु की मानव विकास रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में योगदान दिया है।