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  • पर्यावरण और विकास

    पर्यावरण और विकास

    • लेखक:डा. सुभाष शर्मा
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिंदी
    • दिनांक:2016
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:190

    इस पुस्तक में मानव, पर्यावरण और विकास के सभी पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है और वे रास्ते सुझाए हैं जिन पर चलकर संतुलित और समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
    विकास और आधुनिकीकरण के नाम पर औद्योगिक क्रांति ने विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों- जल जंगल, जमीन खदान का अंधाधुंध शोषण किया जिसके फलस्वरूप तमाम प्राकृतिक आपदाएं घटित हुई हैं और जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि, प्रदूषण, तेजाब वर्षा, ओजोन परत में छेद जैसी नई समस्याओं ने विकराल रूप ले लिया है।

  • पिंकू के कारनामे

    पिंकू के कारनामे

    • लेखक:विश्वनाथ गुप्ता
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिंदी
    • दिनांक:2016
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:150

    यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक कार्लो कालोदी के मूल इतावली उपन्यास 'द एडवेन्चर ऑफ पिनोशियो' का हिंदी रूपान्तर है। पिनोशियो एक कठपुतले की कहानी है। कठपुतले के माध्यम से लेखक ने यह समझाने का प्रयास किया है कि जो बच्चे अपने बड़ों का कहना नहीं मानते और बिना मेहनत किए कुछ पाना चाहते हैं उन्हें अपनी गलती पर जरूर पछताना पड़ता है।
    इस उपन्यास का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। इसका रूपांतर विश्वनाथ गुप्ता ने ‘पिंकू के कारनामे‘ के नाम से बड़े सहज और सरल भाषा में किया है।

  • विवेकानंद की कहानी

    विवेकानंद की कहानी

    • लेखक:प्रकाशन विभाग
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिंदी
    • दिनांक:2016
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:95

    इस महान युवा संन्यासी ने ऐसे समय में देशवासियों को जगाया और उनमें नई जान फूंकी जब देश परतंत्र था और देशवासी कमजोर, गरीब, दुखी एवं निराश थे। देशवासियों की तरक्की के लिये उन्होंने जीवनभर कड़ी मेहनत की। वह भारत की विद्वता लेकर विदेशों में गए और देश का गौरव बढ़ाया।
    11 सितंबर, 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करने के बाद उन्हें सम्मलेन का महानतम व्यक्ति माना गया तथा समस्त विश्व उनकी विद्वता से प्रभावित हुआ। उन्होंने वेदांत का संदेश विश्वभर में फैलाकर उसकी जड़ें गहरी की।
    विवेकानंद केवल 39 वर्ष इस संसार में रहें, किंतु देश-दुनिया को काफी कुछ दे गए। उनकी शिक्षा आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती है।

  • अनुवाद अध्ययन का परिदृश्य

    अनुवाद अध्ययन का परिदृश्य

    • लेखक:देवशंकर नवीन
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिंदी
    • दिनांक:2016
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:150

    अनुवाद अध्ययन एक अन्तरानुशासनिक शैक्षिक शाखा है। इसमें विभिन्न अनुशासनों का उपयोग होता है, और विभिन्न अनुशासनों के शोध में इसका सहयोग लिया जाता है। विश्व साहित्य की अवधारणा, तुलनात्मक साहित्य का अस्तित्व और अन्य सभी बहुद्देश्यीय पाठ्यक्रमों की कल्पना भी अनुवाद के बिना संभव नहीं है। अनुवाद के इतिहास, परंपरा, प्रयोजन, लक्ष्य आदि पर बोधपूर्ण दृष्टि से विचार करना अनुवाद अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य होता है। इस पुस्तक में इन सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया गया है।

  • हिंदी और उसकी उपभाषाएं

    हिंदी और उसकी उपभाषाएं

    • लेखक:डॉ. विमलेश कान्ति वर्मा
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिंदी
    • दिनांक:2016
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:260

    'हिंदी और उसकी उपभाषाएं' हिंदी का एक संक्षिप्त सर्वतोमुखी सर्वेक्षण है। ग्रंथ में हिंदी भाषा संबंधी अनेक तथ्यों का संयोजन है और उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर हिंदी को समझने की एक नई दृष्टि है। आशा की जाती है कि हिंदी और उसकी उपभाषाएं हिंदी के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को समझने में सहायक होगा।

  • रोचक ऐतिहासिक कहानियाँ

    रोचक ऐतिहासिक कहानियाँ

    • लेखक:केदारनाथ कोमल
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:45

    प्राचीनकाल से भारत ने अपने शौर्य और वीरता की गाथा को बनाए रखा है। प्रतिष्ठित बाल सहित्यकार केदारनाथ कोमल की इस पृष्ठ पर भारत के रण-बांकुरों की वीर गाथाओं के चटख रंग बिखरे है। बेहद रोचक सरल-सहज और ज्ञानवर्धक यह पुस्तक बच्चों और किशोरों को प्रेरित करेगी।

  • युवा सन्यासी

    युवा सन्यासी

    • लेखक:राजेन्द्र मोहन भटनागर
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:215

    विवेकानंद ने भारतीय जन-जीवन को नए सांचे में ढालने में विशेष भूमिका अदा की थी। नरेन की मनोवृति शुरू से ही जीवन के आध्त्यमिक पक्ष का विकास करने की दिशा में अधिक थी। किन्तु धर्मशास्त्रों के अंध अनुकरण में भी उनकी अंधी आस्था नहीं थी। वह पूर्णत तार्किक थे। छानबीन करना, सत्यापन की जिज्ञासा और सत्य को यथाथ के दर्पण में देखने-परखने की उनकी आकांक्षा असाधारण थी।

  • हंसी हंसी में

    हंसी हंसी में

    • लेखक:कुलदीप तलवार
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:40

    हास्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हंसने हंसाने से मन हल्का रहता है। हंसाना हमारी सेहत के लिए भी अच्छा है। इस पुस्तक में हंसाने और गुदगुदाने वाली छोटी-छोटी ६० कहानियाँ संकलित की गई है। जाने - माने लेखक कुलदीप तलवार द्वारा सरल और सुबोध शैली में लिखी यह पुस्तक हर उम्र के पाठकों के किए पठनीय है।

  • परी हंसावली (कुमाऊँनी लोक कथाएँ)

    परी हंसावली (कुमाऊँनी लोक कथाएँ)

    • लेखक:प्रभा पंत
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:140

    लोक कथाएँ समाज का प्रतिबिंब है। यह कथा परंपरा सदियों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आ रही है। उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल की रोचक कथाएँ वहाँ के समाज और जनजीवन को सुंदर तरीके से प्रस्तुत करती है। लेखिका प्रभा पंत ने दिलचस्प भाषा-शैली में इन कहानियों को प्रस्तुत किया है।

  • दादी अम्मा का खजाना

    दादी अम्मा का खजाना

    • लेखक:उषा यादव
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:85

    समस्या चाहें पानी की हो या फास्ट फूड की, परंपरागत मान्यताओं की हो या इम्तिहान की, बड़े और बच्चे जूझते ही रहते है और जरूरत है उन्हें सही दिशा देने की। लेखिका उषा यादव ने भी इन कहानियों में विभिन्न समसामयिक मुद्दे कोबेहद संजीदगी और रोचकता से उठाया है। कहानियों की भावनात्मक संवेदनशीलता प्रभावित करती है। उषा यादव बच्चों के जानी-मानी लेखिका है।

  • समय, सिनेमा और इतिहास

    समय, सिनेमा और इतिहास

    • लेखक:संजीव श्रीवास्तव
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:95

    सिनेमा जीवन का दर्पण है। हिन्दी सिनेमा ने अपने सौ सालसे अधिक के सफर में जनमानस के जीवन के हर पहलू उतार-चढ़ाव और मनोभावों को बखूबी प्रतिबिम्बित किया है। सौ साल का यह सफरनामा व्यक्ति और समाज की, अनुभूति और अभिव्यक्ति की बहुरंगी भाव-भंगिमाओ को सँजोये हुए है। इस विरासत को संवारा है सिनेमा के विविध क्षेत्रों की अनूठी प्रतिभाओं ने। यहाँ व्यावसायिकता की चकाचोंध है, तो कला की प्रांजलता ने। बाजार के दबाब और समझौते है तो प्रतिबद्ध सामाजिक सरोकार भी है।

    रूपहले पर्दे के सौ साल से अधिक के सफर के हमराही बने हैं। संजीव श्रीवास्तव, जिन्होने चलचित्रों के इस मोहक अनुभव को शब्दों की तूलिका से कागज के कैनवस पर उकेरने की कोशिश की है।

  • मूसाराम की मूछें

    मूसाराम की मूछें

    • लेखक:सरोजनी प्रीतम
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:85

    बच्चों को हमेशा से हास्य कहानियाँ लुभाती रही है। "मूसाराम की मूछें", की कहानियाँ बच्चों को न सिर्फ गुदगुदाएंगी अपितु उन्हें ज़िन्दगी के बहुरंगी आयामों से भी परिचित कराएंगी। उम्मीद है प्रतिष्ठित लेखिका सरोजनी प्रीतम की किस्सागोई से भरी इन अजब-गज़ब हास्य-कथाओं को बच्चे मजे लेकर और मिल-जुलकर खिलखिलाएंगे।

  • सरल पंचतंत्र

    सरल पंचतंत्र

    • लेखक:विष्णु प्रभाकर
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:90

    पंडित विष्णु शर्मा कृत पंचतंत्र का भारत में ही नहीं वरन समस्त संसार में आदर है। पंचतंत्र की मूल कथा गुणात्य रचित वृहत-कथा नामक ग्रंथ पर आधारित है। इस ग्रंथ के कुछ प्रसंग लेकर पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की रचना की।

    इस पुस्तक इसी पंचतंत्र का सरल हिंदी में प्रस्तुत किया गया है। आशा है की हमारे बाल पाठक इसे अवश्य पसंद करेंगे।

  • भारत की एकता का निर्माण - सरदार पटेल के भाषण १९४७-१९५०

    भारत की एकता का निर्माण - सरदार पटेल के भाषण १९४७-१९५०

    • लेखक:प्रकाशन प्रभाग
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:330

    आधुनिक भारत के निर्माताओं में भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का नाम सबसे अग्रणी पंक्ति में आता है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सरदार ने प्रेरणास्पद नेतृत्व दिया और गांधी जी के सर्वाधिक प्रियाजनों में एक बनें। अपने संकल्प, दृढ़ता और राजनैतिक कोशल कौशल से उन्होने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के कठिन दौर में देश को एकजुट किया। १९४७ से १९५० के निर्णायक दौर में लौहपुरुष सरदार पटेल के चुने गए भाषण इस संकलन में संग्रहीत है जिनमें सरदार के ओजस् व्यक्तित्व के साथ-साथ इस नाजुक दौर का इतिहास भी ध्वनित होता है।

  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय

    • लेखक:प्रकाशन प्रभाग
    • विषय:नई पुस्तक
    • भाषा:हिन्दी
    • दिनांक:2015
    • बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
    • कीमत:130

    भारतीय संस्कृति के उपासक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का आधुनिक भारत के निर्माताओं में अन्यतम स्थान है। पश्चिम की विकृति के प्रति वह सजग व सावधान थे और जीवन-पर्यंत उसके आलोचक बने रहे। उन्होने सोए समाज को जगाने का काम किया और संबंध में हर जन-आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक कर्मठ नेता थे। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन प्रचारक रहे। इसक्ले अलावा उपाध्याय जी एक जागरूक लेखक और निर्भीक पत्रकार भी थे। पुस्तक के लेखक डॉ. महेश चंद्र शर्मा पूर्व सांसद, जाने-माने लेखक, पत्रकार और समाजसेवी है।

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