संस्कृत साहित्य रत्नावली' (भाग-4) में भास के नाटकों का सुंदर एवं सुपाठ्य कथासार हिंदी में प्रस्तुत है। मूलतः इन कथासारों का संचयन/संपादन हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार-नाटककार विष्णु प्रभाकर द्वारा किया गया था। अतः वर्तमान स्वरूप में इसे प्रस्तुत करते हुए प्रकाशक युग्म विष्णु प्रभाकर जी का ऋणी है।
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संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-4)
- लेखक:विष्णु प्रभाकर
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2017
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:70
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संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-3)
- लेखक:विष्णु प्रभाकर
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2017
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:50
संस्कृत साहित्य रत्नावली' (भाग-3) में भवभूति के तीन नाटकों का सुंदर एवं सुपाठ्य कथासार हिंदी में प्रस्तुत है। मूलतः इन कथासारों का संचयन/संपादन हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार-नाटककार विष्णु प्रभाकर द्वारा किया गया था। अतः वर्तमान स्वरूप में इसे प्रस्तुत करते हुए प्रकाशक युग्म विष्णु प्रभाकर जी का ऋणी है।
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संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-2)
- लेखक:विष्णु प्रभाकर
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2017
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:55
संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-2) में कविकुल शिरोमणि काव्य-ग्रंथों का सुंदर एवं सुपाठ्य कथासार हिंदी में प्रस्तुत है। मूलतः इन कथासारों का संचयन/संपादन हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार-नाटककार विष्णु प्रभाकर द्वारा किया गया था। अतः वर्तमान स्वरूप में इसे प्रस्तुत करते हुए प्रकाशक युग्म विष्णु प्रभाकर जी का ऋणी है।
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संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-1)
- लेखक:विष्णु प्रभाकर
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2017
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:55
संस्कृत साहित्य रत्नावली (भाग-1) में कविकुल शिरोमणि कालिदास के नाटकों का सुंदर एवं सुपाठ्य कथासार हिंदी में प्रस्तुत है। मूलतः इन कथासारों का संचयन/संपादन हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार-नाटककार विष्णु प्रभाकर द्वारा किया गया था। अतः वर्तमान स्वरूप में इसे प्रस्तुत करते हुए प्रकाशक युग्म विष्णु प्रभाकर जी का ऋणी है।
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कहानियां मिन्नी की
- लेखक:शीला इन्द्र
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:120
कहानी केवल मनोरंजन का विषय नहीं होती है। कहानी व्यक्तिगत विकास और मानवीय संबंधों को अपने में समेटे रहती है। इस संग्रह में शामिल सभी नौ बाल कहानियां मिन्नी नाम की नन्ही और चुलबुली पात्र द्वारा भरपूर मनोरंजन के साथ-साथ बाल मन को नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। सुंदर और आकर्षक रेखाचित्रों ने इन कहानियों को और भी जीवंत कर दिया है।
सुप्रसिद्ध लेखिका शीला इन्द्र द्वारा नए अंदाज़ और अत्यंत ही रोचक शैली में लिखी गईं इन कहानियों को बच्चे और बड़े बार-बार पढ़ना चाहेंगे।. -
थोड़ा सा तो हो ना बचपन
- लेखक:अनुप्रिया
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:65
बाल मन की इच्छाओं-आकांक्षाओं को सुगम शब्दों में व्यक्त करता यह कविता-संग्रह उनके मनोभावों को खूबसूरत अर्थ देता है। कंप्यूटर के इस युग में बचपन अपनी जगह ढूंढता कभी सूरज को छुट्टी दे देता है तो कभी एक छोटे से चूहे से दोस्ती करने को आमादा रहता है। नए सपनों की बात हो या नए उजियारे की, नये संसार की कल्पना हर बालक के मन को उत्साहित और रोमांचित करती है।
युवा कवयित्री अनुप्रिया ने इन कविताओं में बच्चों के भोलेपन और उनके सपनों की महक को शब्दों में काफी साफगोई से उतारा है। -
अपनी हिंदी संवारें
- लेखक:डा. विजय अग्रवाल
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:120
अच्छी और प्रभावशाली हिंदी लिखने और बोलने के लिये भाषा पर मजबूत पकड़ होना जरूरी है। हिंदी सजाने-संवारने के लिए भाषा के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों की जानकारी आवश्यक है। इन तत्वों के आधार पर ही भाषा का सौन्दर्य बढ़ता है उसमें प्रवाह आता है। प्रसिद्ध लेखक डा. विजय अग्रवाल ने इस पुस्तक में ऐसे अनेक सुझाव दिए हैं जिनसे भाषा को सजाया-संवारा जा सकता है। विश्वास है यह पुस्तक हिंदी ही नहीं अहिंदी भाषियों के लिए भी उपयोगी होगी।
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जवाहरलाल नेहरू- श्रद्धांजलि
- लेखक:प्रकाशन विभाग
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:85
आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के समाचार ने देश ही नहीं वरन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी स्तब्ध कर दिया था। देश–विदेश की तमाम राजनीतिक हस्तियों सहित भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रेस ने इस आधुनिक भारत के निर्माता को भावपूर्ण श्रद्धांजलियां अर्पित की ।
पुस्तक में श्रद्धांजलियों के अतिरिक्त, नेहरूजी की सचित्र जीवन झांकी तथा उनकी लिखी वसीयत को भी शामिल किया गया है,जो इस पुस्तक को अद्वितीय बनाती हैं। -
भारतीय लोक साहित्य परंपरा और परिदृश्य
- लेखक:विद्या सिन्हा
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:85
लेखिका विद्या सिन्हा लोक साहित्य अपने अंचल में लोक जीवन को समेटे रहता है। यह जन-जन में समाहित वह अभिव्यक्ति है जो समाज की स्मृतियों में सदैव सजीव रहती है। लोक जीवन का प्रत्येक पहलू लोक साहित्य में स्पंदित हो उठता है।
प्रतिष्ठित लेखिका विद्या सिन्हा ने भारतीय लोक साहित्य की परंपरा और समकालीन परिदृश्य को पुस्तक में समेटने का प्रयास किया है। लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्राध्यापक हैं। -
भारत में अंगरेज़ी राज (दो खंड)
- लेखक:सुन्दरलाल
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:330
'सोने की चिड़िया' कहलाने वाले हमारे देश भारत पर प्राचीन काल से ही हमलावर आक्रमण करते रहे हैं। इसका कारण चाहे लूट-पाट करना रहा हो या फिर शासन करना। इसी क्रम में भारत पर लंबे समय तक शासन करने वाले अंगरेज सत्रहवीं सदी के प्रारंभ में व्यापारी बनकर आए और धीरे-धीरे इस देश के शासक बन बैठे।
सुप्रसिद्ध लेखक सुन्दरलाल की दो खंडों में प्रकाशित यह पुस्तक भारत में अंगरेज़ी शासन के विस्तृत और सच्चे इतिहास की जानकारी देने के साथ-साथ हमें अपनी कमजोरियों को समझने, उन्हें दूर करने तथा कठिनाई से मिली स्वतंत्रता की रक्षा करने में बहुत कुछ मदद दे सकती है। -
भारत के नारी रत्न
- लेखक:प्रकाशन विभाग
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:105
भारत में प्राचीन काल से ही ऐसी कई महिलाएं हुई हैं जिन्होंने अपने सद्चरित्र और सत्कर्मों से अपने परिवार ही नहीं, बल्कि देश के उत्थान में उल्लेखनीय योगदान दिया। प्रस्तुत पुस्तक में मीराबाई, नूरजहां, राजमाता जीजाबाई, महारानी लक्ष्मीबाई, सरीखी मध्युगीन वीरांगनाओं से लेकर कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू, सुभद्रा कुमारी चौहान जैसी आधुनिक युग की महिलाओं के जीवन-चरित को संग्रहित किया गया है। इन महिलाओं की गरिमा, दृढता, पवित्रता और देश प्रेम के भाव पाठकों को प्रेरणा प्रदान करते हैं।
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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
- लेखक:राकेश सिन्हा
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:330
डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार भारतीय संस्कृति के परम उपासक थे। वह कर्मठ, सत्यनिष्ठ और राष्ट्रवादी होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रचेता भी थे। उन्होंने हिंदुओं में नई चेतना जागृत करने का उल्लेखनीय कार्य करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। इस पुस्तक में उनके व्यक्तित्व और जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है तथा उनके संबंध में ऐसी जानकारियां भी दी गई हैं, जो अभी तक अल्पज्ञात थीं।
पुस्तक के लेखक राकेश सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक हैं। वह चर्चित स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं। -
असम और मेघालय की प्रेस पत्रकारिता
- लेखक:ज्ञानप्रकाश पांडेय
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:160
'असम और मेघालय की प्रेस पत्रकारिता' पुस्तक में इन दोनों राज्यों की पत्रकारिता का विस्तृत विश्लेषण है जिसमें पत्रकारिता का इतिहास, स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, विकास में योगदान आदि विभिन्न पहलू शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत से जुड़ी यह पुस्तक छात्रों के लिए ज्ञानवर्द्धक साबित होगी।
प्रतिष्ठित लेखक ज्ञानप्रकाश पांडेय ने जनसंचार के अपने अनुभव को बहुत ही सरल शब्दों में अभिव्यक्त किया है। -
भारत की लोक कथाएं
- लेखक:मुल्कराज आनंद
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:80
'भारतीय लोक कथाएं' पुस्तक में पीढ़ी दर पीढ़ी कही-सुनी जाने वाली कहानियों का एक सुंदर संग्रह है। पशु, पक्षी, परी, देवता, दानव, फूल और बगिया से भरा लोक साहित्य कहानियों के माध्यम से हमारे कल्पना की उड़ान को एक नया आसमान देता है। लेखक ने प्रत्येक कहानी को इतने सुंदर ढंग से लिखा है कि हर कहानी मनोरंजन के साथ शिक्षा भी प्रदान करती है।
विख्यात लेखक मुल्क राज आनंद ने अंग्रेजी में कई उपन्यास, छोटी कहानियां और निबंध लिखे हैं। प्रकाशित लोक कथाएं भी अंग्रेजी से अनुदित हैं। लेखक अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार, पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। -
गणेश शंकर विद्यार्थी
- लेखक:डॉ. मोति शंकर विद्यार्थी
- विषय:नई पुस्तक
- भाषा:हिंदी
- दिनांक:2016
- बाइंडिंग प्रकार:Paper Binding
- कीमत:120
अदम्य उत्साह एवं निर्भीकता के प्रतीक गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने जीवनकाल में विलक्षण पत्रकारिता के लिए ख्याति पाई। गणेश शंकर विद्यार्थी हिंदी भाषी साप्ताहिक पत्र "प्रताप" के संस्थापक संपादक थे। स्वतंत्रता आंदोलन व असहयोग आंदोलन में उनका अहम योगदान था।
गणेश शंकर विद्यार्थी को राजनैतिक गतिविधियों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उनके संपादकत्व में लिखे गए लेख और समाचार संग्रहों से उनकी जबरदस्त योग्यता और प्रभावशाली लेखन शक्ति का परिचय मिलता है। उन्होंने राष्ट्रीयता के सिद्धांत, स्वदेशी आंदोलन, स्वराज तथा राष्ट्रीय शिक्षा पर भी लेख लिखे।