जुलाई में आयकर रिटर्न की फाइलिंग

ITR2014

भारत में प्राचीन काल से ही प्रत्यक्ष कराधान प्रणाली विभिन्न रूपों में मौजूद है। प्राचीन काल में लिए जाने वाले विभिन्न करों से संबंधित जानकारी मनु स्मृति और अर्थशास्त्र में दी गई है। भारत में आयकर 24 जुलाई 1860 को सर जेम्स विल्सन द्वारा आरंभ किया गया था। यह कर चुनिंदा धनी लोगों, राज घराने के सदस्यों और अंग्रेजों पर लगाया जाता था और इसलिए शासकों को यह नापसंद था। अतः 1865 में इस अधिनियम को रद्द कर दिया गया और 1867 में इसे पुनः एक नए रूप में लागू कर दिया गया।




आयकर क्या है?
आयकर क्या है?

आयकर वार्षिक आय पर लिया जाने वाला कर है। भारतीय आयकर अधिनियम के (अनुभाग 4) के अनुसार हर व्यक्ति की पिछले वर्ष की कुल आय पर उसके द्वारा दिये जाने वाले आयकर का निर्धारण किया जाता है। आयकर अधिनियम के अनुभाग 14 के अंतर्गत यह उल्लेखित है कि आयकर के रूप में चुकाए जाने वाले मूल्य और कुल आय की गणना करने के लिए सभी प्रकार की आय अर्थात वेतन, संपत्ति से होने वाली आय, व्यापार या नौकरी में हुआ लाभ, पूंजीगत लाभ, अन्य स्रोतों से होने वाली आय को शामिल करना होगा।

अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उपरोक्त सभी प्रकार की आय को शामिल कर कुल आय की गणना आकलन वर्ष में अप्रैल की पहली तिथि को की जाती है। कराधान प्रक्रिया से संबंधित सभी गतिविधियों की ज़िम्मेदारी आयकर विभाग की है।

आयकर विभाग भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राजस्‍व विभाग का एक अंग है एवं यह केन्‍द्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा अभिशासित है।


आयकर का भुगतान किसे करना होता है?

आय एक विस्तृत और समावेशी शब्द है। नियोजक द्वारा वेतनभोगी व्यक्ति को दिया गया नकद, ईनाम या सुविधा के रूप में दी गई चीज़ों को उस व्यक्ति की आय के रूप में गिना जाता है। व्यापारी को व्यापार में हुए लाभ को उसकी आय माना जाता है। ब्याज, लाभांश और छूट इत्यादि जैसे निवेशों को भी आय माना गया है। आयकर अधिनियम के अनुसार कानूनी और गैर-कानूनी सभी प्रकार की आय पर कर लागू होता है। अधिनियम के अनुसार लोगों द्वारा अर्जित विभिन्न प्रकार की आय का वर्गीकरण पांच शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है जो निम्नलिखित हैं : वेतन से होने वाली आय, संपत्ति से होने वाली आय, व्यापार या नौकरी में हुआ लाभ, पूंजीगत लाभ, अन्य स्रोतों से होने वाली आय।

आयकर से संबंधित विज्ञापन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं

आयकर की दरें
आयकर की दरें
  •  व्यक्ति,हिन्दू अविभाजित परिवार, एओपी, बीओआई
  •  वरिष्ठ नागरिक
  •  अति वरिष्ठ नागरिक
हेल्पलाइन नंबर

आय कर से संबंधित प्रश्नों के लिए
फोन नंबर : 1800 180 1961

पुनरीक्षण और वापसी के लिए
सीपीसी : 1800 425 2229

रिटर्न की ई-फाइलिंग के लिए
ई-फाइलिंग : 1800 4250 0025

कर की गणना और उसका भुगतान

आयकर विभाग द्वारा ऑनलाइन टेक्‍स कैलकुलेटर उपलब्ध कराया गया है। सामान्य व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, कंपनी, व्यवसाय संघ, एओपी, बीओआई सभी इसके माध्यम से संबंधित आकलन वर्ष में किये जाने वाले कर के भुगतान की गणना कर सकते हैं।

करदाता, कटौतीकर्ता और संग्राहक नकद/चैक द्वारा या किसी भी नामांकित बैंक शाखाओं - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं में चालान - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के माध्यम से कर का भुगतान कर सकते हैं। आप कर का भुगतान ऑनलाइन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं भी कर सकते हैं।

आयकर रिटर्न भरें
आयकर रिटर्न भरें

कराधान नियमों के अनुसार कमाने वाले किसी भी व्यक्ति/ इकाई के लिए आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य है; इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उसके नियोक्ता द्वारा आय के स्रोत पर कर की कटौती की गई है या नहीं और वह की गई कटौती की वापसी का पात्र हैं या नहीं।

छूट: वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17/02/2012 को जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, वह व्यक्ति जिसकी संबंधित आकलन वर्ष में कुल आय 5,00,000 रु. से अधिक नहीं है उसे आयकर रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं है।

आयकर रिटर्न फाइल (आईटीआर) करने हेतु संबंधित आकलन वर्ष के लिए आईटीआर जमा करनी होती है। आकलन वर्ष 2013-14 हेतु आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए आईटीआर प्रपत्र निम्नलिखित हैं :

नोट: - सभी प्रपत्र पीडीएफ में हैं

सभी आईटीआर फॉर्म और निर्देश डाउनलोड करें - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं

भारतीय नागरिक आयकर रिटर्न

सहज (आईटीआर-1)

सहज और सुगम मानक विशेषताओं वाले रंगीन प्रपत्र हैं। करदाता वेबसाइट से इन प्रपत्रों को डाउनलोड - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं कर सकते हैं।

कृपया प्रपत्र भरने से पहले सहज के लिए दिए गए निर्देशों को सावधानीपूर्वक पढ़ें।

व्यक्ति और हिन्दू अविभाजित परिवार जिनका किसी व्यापार या नौकरी से कोई आय नहीं हैं

आईटीआर 2

आईटीआर 2 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

व्यक्ति और हिन्दू अविभाजित परिवार जो व्यवसाय संघों में भागीदार हैं और जिनका किसी स्वत्वधारिता के अंतर्गत कोई व्यापार या व्यवसाय नहीं है

आईटीआर 3

आईटीआर 3 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

सुगम - अनुमानित व्यापार के लिए आयकर रिटर्न

सुगम (आईटीआर – 4एस)

कृपया प्रपत्र भरने से पहले सुगम के लिए दिए गए निर्देश सावधानीपूर्वक पढ़ें।

वैसे व्यक्ति और हिन्दू अविभाजित परिवार जिन्हें स्वत्वधारिता व्यापार या नौकरी से आय प्राप्त होती है

आईटीआर 4

आईटीआर 4 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

व्यवसाय संघों, एओपी तथा बीओआई के लिए

आईटीआर 5

आईटीआर 5 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

अनुभाग 11 के अंतर्गत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा बाकी सभी कंपनियों के लिए

आईटीआर 6

आईटीआर 6 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

उन व्यक्तियों एवं कंपनियों के लिए जिन्हें अनुभाग 139 (4ए) या अनुभाग 139 (4बी) या अनुभाग 139 (4सी) या अनुभाग 139 (4डी) के तहत रिटर्न भरने की आवश्यकता है

आईटीआर 7

आईटीआर 7 से संबंधित निर्देश पढ़ें।

ई‍-रिटर्न और गैर ई-रिटर्न के लिए पावती

पावती

पिछले वर्ष के प्रपत्र और उससे संबंधित निर्देश यहाँ - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं क्लिक करें।

आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग

ई-फाइलिंग - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं की सुविधा आयकर विभाग ने पहली बार आकलन वर्ष 2006-07 के दौरान शुरू की थी। वर्तमान में अनुभाग 44एबी के तहत वैधानिक अंकेक्षण वाली कंपनियों और व्यवसाय संघों के लिए आयकर रिटर्न ई-फाइल करना अनिवार्य है। साथ ही सभी उपयोगकर्ता ई-फाइलिंग से होने वाले लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।

ई-फाइलिंग पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए यहाँ - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं क्लिक करें।

पंजीकृत उपयोगकर्ता रिटर्न / प्रपत्र जमा करने, प्रपत्र 26एएस (टैक्स क्रेडिट) देखने, बकाया कर, आईटीआर-V रसीद की स्थिति, सीपीसी वापसी की स्थिति, पुनरीक्षण की स्थिति, आकलन अधिकारियों के क्षेत्राधिकार आदि ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस)
स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस)

स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) कर संग्रह की विधियों में से एक है जिसके द्वारा एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति को भुगतान करते / क्रेडिट करते समय राशि में से एक निश्चित प्रतिशत काट लिया जाता है और काटी गई राशि सरकार के खाते में जमा कर दी जाती है। यह “कमाई के साथ भुगतान” योजना जैसी है जो अन्य देशों में प्रतिधारित कर के नाम से जाना जाता है।

आयकर अधिनियम के टीडीएस प्रावधानों के तहत निर्धारित प्रकृति के अंतर्गत आने वाली राशि का भुगतान करने वाला प्रत्येक व्यक्ति कर की कटौती के लिए जिम्मेदार होगा। यद्यपि किसी व्यक्ति और हिन्दू अविभाजित परिवार का पिछले वर्ष में कारोबार या व्यावसायिक लाभ क्रमश: 40 लाख रु. या 10 लाख रु. (01.07.2010 से प्रभा‍वी सीमा क्रमश: 60 लाख रु. या 15 लाख रु.) से अधिक होता है और उसे अनुभाग 194ए, 194सी, 194एच, 194आई और 194 जे के अंतर्गत भुगतान किया जाता है तो उसके स्त्रोत पर कर की कटौती करनी आवश्यक है।

टीडीएस की मूलभूत बातें जानें - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं